मानव सेवा दल - मुख्य उद्देश्य
सेवा ही मानवता के विकास का मूल मन्त्र है.
मानव मात्र की निष्काम सेवा
मानव मात्र की भलाई के लिए चाहे वो किसी भी जाति, धर्म या देश का हो , निष्काम सेवा से मानवता की सेवा करना
आध्यात्मिक विकास
मानव समाज में व्याप्त कुप्रवृत्तियों को समाप्त करने के लिए प्रयत्नशील रहना तथा मानव मात्र का आध्यात्मिक विकास करने हेतु पथ-प्रदर्शन करना।
आपदा प्रबंधन
दैवीय अथवा भौतिक विकास करने से उत्पन्न आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा, भूकंप आदि से पीड़ितों की सहायता हेतु प्राथमिक चिकित्सा, अग्निशमन दल, भोजन इत्यदि की व्यवस्था करना।
राष्ट्र निर्माण
मानव सेवा दल के द्वारा एक ऐसे जन समूह को तैयार करना जो कर्मठ हो और ईमानदारी एवं पवित्रता का जीवन व्यतीत करें। इसके साथ साथ वह निष्काम भाव से मानव समाज की सेवा भी करे.
सन्देश
मानव सेवा दल, निःस्वार्थ, समर्पित तथा अनुशासित स्वयंसेवकों का एक ऐसा निष्काम सेवा संगठन है जो जातीय, सांप्रदायिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक कट्टरता आदि मतभेदों से ऊपर उठकर मानव सेवा को ही अपनी आराधना, पूजा और यजन मानता है। दल के स्वयंसेवक मानव ही नहीं, बल्कि प्राणिमात्र के प्रति संवेदनशील हैं। वे यथासंभव हर प्रकार की सेवा हेतु सदैव तत्पर, गतिशील एवं कृतसंकल्प रहते हैं। परोपकारी स्वभाव, स्वाभिमान, संतोष, सामाजिक एकता, धर्म-निरपेक्षता, राष्ट्रीय प्रेम की भावना एवं आध्यात्मिक गुणों से ओतप्रोत, संवेदनशील एवं विश्लेषणात्मक व्यक्तित्व वाले स्वयंसेवकों का संगठन ही वास्तव में मानव एवं समस्त जीवों की निस्वार्थ भाव से सेवा में अग्रसर हो सकता है। प्राणिमात्र के प्रति सेवा-प्रेम की वह क्रियात्मक अभिव्यक्ति है जिसके बदले समाजसेवी की कोई निज अभिलाषा न हो क्योंकि निष्काम सेवा ही मानसिक शांति, आत्मज्ञान, आत्म-तृप्ति एवं आत्म-सक्षात्कार के प्रकटीकरण का संवेदनात्मक राजद्वार है।
दल के उद्देश्यों की पूर्णरूपेण पूर्ति हेतु समस्त सदस्यों का ध्येय “निष्काम समर्पित व्यक्तित्व” हो। निष्काम समर्पित व्यक्तित्व वाले कार्यकर्ता में आदर्श नेतृत्व व नैतिकता आदि विभिन्न आकर्षक अद्भुत गुण स्वाभाविक रूप से प्रकट होते हैं। समर्पित व्यक्तित्व से ही संगठन में सदैव तरो-ताजगी व उत्साह में वृद्धि होती रहेगी। निष्काम समर्पित व्यक्तित्व ही संगठन का गौरव और उसका चरित्र-दर्पण होता है। मानव सेवा दल के सभी स्वयंसेवकों को मेरा यही संदेश है कि मानव सेवा दल नियमावली में उल्लेखित नियमों का अनुसरण करते हुए निष्काम सेवा का ऐसा रचनात्मक मार्ग प्रशस्त करें जिसके प्रतिबिम्ब से समाज स्वयमेव प्रभावित हो तथा आदर्श समाज के निर्माण हेतु स्वच्छ विचारधारा का प्रवाह निरंतर गतिमान रहे जिससे प्रभावित होकर सेवा-भाव वाले मानव, संगठन में सेवा हेतु आकर्षित होंगे और निश्चय ही कर्मठ स्वयंसेवकों की शक्ति में वृद्धि होगी।
अत: संस्था के सदस्य समाज सेवा का स्वर्णिम उदाहरण प्रस्तुत करें, जिससे भविष्य के लिए निष्काम सेवा का मार्ग प्रशस्त हो।
संस्था की सफलता के लिए हार्दिक शुभकामनाओं सहित,
राज्य
स्वयंसेवक
स्वयंसेविकाए
कुल सदस्य